किन्नर कभी नहीं दिखाते अपनी ये चीजें

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किन्नर कभी नहीं दिखाते अपनी ये चीजें


किन्नर या हिजड़ा एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही सब कुछ पल के लिए सच हो जाते हैं लेकिन इसका थोड़ा सा अर्थ जरूर होता है। हर कोई किन्नरों के बारे में जानना चाहता है कि किन्नर कैसे रहते हैं, उनका शरीर अंदर से कैसा है या उन्होंने कैसे सेक्स किया होगा। दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी ऐसा किया गया है। पुराणों में भी इन्हें विशेष स्थान दिया गया है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि किन्नर चाहे शादीशुदा हो या धन्य, फल जरूर मिलता है। अक्सर देखा गया है कि लोगों में हिंदुओं के बारे में जानने की काफी उत्सुकता होती है। ऐसा होता है। मेडिकल साइंस के अनुसार जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उसके अंगों का विकास 3 महीने बाद शुरू हो जाता है। लेकिन इस बीच अगर महिला किसी बीमारी से ग्रसित हो जाती है या फिर? यदि कोई पृथ्वी की औषधियों का अधिक सेवन करता है तो घर में हार्मोन संतुलित हो जाते हैं। यानि उनमें एक ऐसी समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिससे स्त्री और पुरुष दोनों ही लिंग उत्पन्न होते हैं।

लेकिन दोनों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है या कभी-कभी किसी दुर्घटना के कारण बच्चे का लिंग अभिमान के अंदर विकसित नहीं हो पाता है, जिससे ऐसा होता है। हमारे समाज में जब भी ऐसा कोई बच्चा पैदा होता है और किन्नर समुदाय को इसके बारे में पता चलता है। आप लोग किन्नर समाज के लोग उसे ले जाओ। उनका पालन-पोषण उनके समाज के नियमों के अनुसार होता है। किन्नर समुदाय के लोग भी शादी करते हैं। दोस्तों, लेकिन यह शादी आम लोगों की शादी की तरह नहीं है। किन्नर समुदाय के लोग अपने आराध्य देव रावत से शादी करते हैं, जिनकी शादी को केवल 1 दिन ही हुआ है। शादी के बाद किन्नर समाज उनके आराध्य देव रावत की मूर्ति पूरे इलाके में घूमती है और पूरे दिन के बाद उस मूर्ति को नष्ट कर दिया जाता है क्योंकि उनके पुराणों के अनुसार, महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के पुत्र आ रावत की मौत हो गई थी।

रावत को किन्नरों का पति भी कहा जाता है। किन्नर 1 दिन के बाद इस मूर्ति को नष्ट कर देते हैं। इसके बाद सभी किन्नर सफेद साड़ी पहनकर विधवा मां से सगाई कर लेते हैं। किन्नर भी अपनी विधवा होने का शोक मनाते हैं।

वे अपना मंगलसूत्र काटकर चूड़ियां तोड़ते हैं। जी बहुत बड़ा है। इन किन्नरों के लिए किन्नर समुदाय द्वारा इस त्योहार पर हड़ताल की जाती है। यानी उनके आराध्य देव की हर साल आराम से शादी हो जाती है और 1 दिन की हड़ताल के बाद वे विधवा हो जाती हैं। दोस्तों की मौत की बात करें तो किन्नर की मौत के बारे में आम आदमी को कोई भी जानकारी। न तो मोदी और न ही कोई आम आदमी कभी किन्नर के अंतिम संस्कार के जुलूस को देख सकता है। यह बड़े रहस्य का विषय है क्योंकि जब किसी किन्नर की मृत्यु होती है तो 24:00 बजे के बाद अंतिम संस्कार की बारात निकाली जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोई भी आम इंसान हिजड़ा होता है अंतिम संस्कार का जुलूस प्राचीन नहीं हो सका। उनके समुदाय के इलाहाबाद समाज के अन्य समुदाय का कोई भी व्यक्ति किन्नर अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होता है। आप उनके समुदाय में भी एक ऐसा नियम हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी भी किन्नर के अंतिम संस्कार में उसके साथी शोक नहीं मनाते क्योंकि उनका मानना है कि इस किन्नर को नर्क की तरह दुनिया से छुटकारा मिल गया है।

किन्नर के अंतिम संस्कार से पहले उसे चप्पलों और जूतों से भी ज्यादा पीटा जाता है क्योंकि ऐसे किन्नरों का मानना है कि ऐसा करने से उनके पिछले जन्म के बाद जो बचे हैं उन्हें.

बेबी इसके साथ खत्म हो जाएगा ताकि उसे। इस तरह आपको किन्नर बनकर दोबारा आने की जरूरत नहीं है। लेकिन दोस्तों यह भी आश्चर्य की बात है कि वे किन्नर के शव को नहीं जलाते। दफनाया गया। हालांकि यह हिंदू धर्म का पालन करता है, लेकिन फिर भी यह एक ट्रांसजेंडर के शव को दफनाने का रिवाज है। दोस्तों भले ही वो हंस रही हो और मुस्कुरा रही हो। चेहरा लाने वाली हर खुशी में हिस्सा लेते हैं, लेकिन एक किन्नर अपने पूरे जीवन में एक ही दुआ मांगता है कि भगवान उन्हें अगले जन्म में किन्नर न दें। इस कलियुग में एक ही नया है, जिसके साथ और भी आशीषें पैदा होती हैं।

इसलिए किन्नरों का आशीर्वाद और आशीर्वाद बहुत जरूरी है। साथियों, अगर कोई बच्चा पैदा भी हो जाए, तो किन्नर समाज हमें आशीर्वाद देने जरूर पहुंचता है। हमारे समाज में यह माना जाता है कि जहां एक तरफ किन्नरों का अपमान उन्हें फर्श पर ले जाता है, वहां रंग के साथ किन्नरों का आशीर्वाद होता है। राजा भी बनाता है। अगर भारत में हर साल रनों की संख्या की बात करें तो हर साल लगभग 40 से 50000 रन की वृद्धि होती है। दोस्तों यह बहुत कड़वा सच है। इस किन्नर समाज में से हमारे भारत में लगभग 90% किन्नर मौजूद हैं जो हिजड़े नहीं हैं बल्कि उन्हें किन्नर बना दिया गया है।

इसके लिए कई किन्नर समुदाय की नजर ऐसे लड़कों पर है जो अपनी चाल और चाल में लड़कियों की तरह दिखते हैं। ऐसे लड़कों को पहले बहला-फुसलाकर समझा जाता है कि वे इस समाज से बिल्कुल अलग हैं। बाद में इस प्रकार की लड़की खुद मानती है कि वह दुनिया से अलग है और वह किन्नर बनने के लिए राजी हो जाती है। इसके बाद ऐसे लड़कों के अंगों को काटकर शरीर से अलग कर दिया जाता है, जिससे वे पुरुष की तरह नहीं दिख सकते। इसके बाद उन्हें कुछ दवाएं भी दी जाती हैं। नीति 1988 को भी विकास मिलता है। इस तरह, लड़कियों के समान चाल वाले लड़के अक्सर किन्नर समुदाय में शामिल हो जाते हैं।

किन्नर समुदाय का रिवाज है कि समुदाय में किसी के शामिल होने से पहले उससे शपथ ली जाती है। पूरे किन्नर समुदाय में उसे गुरु धारण करना होता है और सामूहिक भोज भी करना होता है। इस तरह एक किन्नर समाज में शामिल हो जाता है। दोस्तों यह भी दुख की बात है कि हमारे समाज में जिस तरह से हिंदुओं को देखा जाता है, उन्हें कोई काम नहीं मिलता। इसलिए बहुत से किन्नर अपने मांगे हुए पैसों पर ही अपनी जिंदगी चलाते हैं। सुबह से शाम तक, बस स्टॉप पर, रेलवे स्टेशन पर और गलियों और दुकानों में घूम-घूमकर लोगों से पैसे मांग कर अपना पेट भरते हैं।

कई किन्नर मजबूरी में ऐसे काम करते हैं जो सामाजिक दृष्टि से गलत हैं लेकिन उनके। यह बुरा है क्योंकि हमारा समाज अभी भी उन्हें वह स्थान देता है। वे वह देने को तैयार नहीं हैं जो उन्हें मानवता की नजर में होना चाहिए। किन्नरों की दुनिया में एक और कड़वा सच है। दोस्त अपनी दुनिया में खुश हैं। लेकिन इस दुख की घड़ी में उनके साथ कोई नहीं है। वैसे दोस्तों, किन्नरों का जन्म डॉक्टरों के लिए भी एक रहस्य बना हुआ है क्योंकि मेडिकल साइंस में इसका पहले से पता नहीं चल पाता है। आज किन्नर समाज में अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। आज हमारे भारत में कई ऐसे किन्नर समुदाय बन चुके हैं जो समाज में एक अलग स्थान पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

आज किन्नू को देश में कई जगह जगह मिल रही है। लेकिन आज भी हमारा समाज उन्हें कहीं न कहीं शामिल करने के लिए एक साथ आता है, तो दोस्तों अगर किन्नरों में कुछ खास होता। दोस्तों क्या आप भी किलो निर्यात करते हैं? उनका सम्मान करें। 

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