भारत के इस गांव को कहा जाता है भागे-भागे प्रेमियों के लिए जन्नत, पुलिस भी नहीं छू सकती

Run away from home

भारत के इस गांव को कहा जाता है भागे-भागे प्रेमियों के लिए जन्नत, पुलिस भी नहीं छू सकती


प्रेमी अक्सर समाज से बाहर निकल कर घर से भाग जाते हैं, लेकिन पुलिस कुछ ही दिनों में उन्हें ढूंढ लेती है। फिर उन्हें या तो परिवार के सदस्यों को सौंप दिया जाता है या रिश्तेदारों की शिकायत पर जेल भेज दिया जाता है। आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो प्रेमियों के लिए एक सुरक्षित जगह है। इसके अलावा अक्सर घर के भागे-भागे प्रेमियों को घरवाले ही मार देते हैं. लेकिन ये एक ऐसी जगह है जहां चाहने वालों को रिश्तेदार और यहां तक ​​कि पुलिस भी नहीं बिगाड़ सकती.

जहां उन्हें न तो समाज का डर होगा और न ही पकड़े जाने का डर. इतना ही नहीं यहां के लोग किसी अन्य मेहमान की तरह ही उनका स्वागत करते हैं। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के कुल्ली स्थित शांगचुल महादेव मंदिर की। जो प्रेमियों के लिए सुरक्षित जगह है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के शांघड़ गांव में यह परंपरा है। इस गांव में अगर कोई प्रेमी जोड़ा शंखचूल महादेव की हद तक पहुंच जाए तो उसे कोई बिगाड़ नहीं सकता। इस गांव में भागे हुए प्रेमियों के रहने और खाने की समुचित व्यवस्था की जाती है।

साथ ही उनका गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है। भगवान की आज्ञा के अनुसार गांव के लोग इन लोगों की रक्षा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब पांडव वनवास में इस क्षेत्र में पहुंचे तो लोगों ने उन्हें यहां आश्रय दिया था। लेकिन कौरव भी उनका पीछा करते हुए यहां आ गए। जिसके बाद शंखचूल महादेव ने उन्हें गांव में प्रवेश करने से रोक दिया। महादेव ने कहा कि जो कोई भी यहां मेरी शरण में आएगा, मैं उसकी रक्षा करूंगा।

उसके बाद यहां सदियों बाद भी यही परंपरा चली आ रही है और इस गांव के लोग इस परंपरा के अनुसार भागे हुए प्रेमियों की रक्षा करते हैं। इतना ही नहीं इस गांव में पुलिस की भी पहुंच नहीं है और इस गांव में कोई भी मांस, शराब, चमड़े का सामान नहीं ला सकता है.

कहा जाता है कि पांडवों का पीछा करने के बाद कौरव जब इस गांव में पहुंचे तो कौरव महादेव के डर से वापस लौट आए। इसके बाद यहां पर परंपरा शुरू हुई और यहां आए श्रद्धालुओं को पूरी सुरक्षा मिलने लगी। कहा जाता है कि मामला सुलझने तक यहां आने वाले लोगों का ब्राह्मण समुदाय के लोग पूरा ख्याल रखते हैं.

यहां के लोग अपने भोजन तक ठहरने की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। इस गांव में कोई भी शस्त्र लेकर प्रवेश नहीं कर सकता है। इतना ही नहीं इस गांव में किसी से जोर-जोर से बात करना भी मना है। यहाँ देवता का निर्णय मान्य है।



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