जानिए इस राजा के कुछ हैरान करने वाला तथ्य के बारेमें

Know about some surprising

जानिए इस राजा के कुछ हैरान करने वाला तथ्य के बारेमें


आज हम तकरीबन 100 साल पहले गुजर एक ऐसे अय्याश और फजूल खर्च महाराजा का किस्सा सुनाने वाले हैं, जिसकी शाह अंखियों ने तमाम रियासत का दिवाला निकाल दिया और शक्ति डिस्टेंस बातिन महाराजा का तरीका इंसाफ था, जिस पर अंधेर नगरी चौपट राजा का मुहावरा बिल्कुल मुनासिब बैठता है। आजादी है। हिंदुस्तान से पहले इंडिया में भरतपुर नानी एक रियासत हुआ करती थी। यहां की महाराजा किशन सिंह बहादुर खुद को भगवान का भेजा अवतार कहा करती अंदरूनी भैरू ने मुल्क इनके। इसमें 19 तोपों की सलामी दी जाती।

भरतपुर की रियासत कोई गरीब रियासत ना थी बल्कि इस रियासत की आमदनी उस दौर में कई मिलियन रुपए थी कि जिस दौर में रुपया डॉलर और पाउंड से इतना भी वक्त ना था, जितना आज है इसके बावजूद यहां के किसान और दूसरे मेहनतकश इन तिहाई गुरबत की जिंदगी गुजारने पर मजबूर थे। आए दिन तहत का सामना रहा करता जिसकी वजह से यहां के महाराजा और इनकी निराले शॉप इस रियासत की आमदनी का ज्यादातर हिस्सा महाराजा की बॉडीगार्ड इनकी यूनिफार्म और घोड़ों पर खर्च हुआ करता। महाराजा किशन सिंह जब भी औरत जाती तो वहां की अफवाह की शान और शौकत उनकी वर्दियां और घोड़े महाराजा को शदीद एहसास ए कमतरी में मुब्तिला कर देते। सुनाक्षी जी महाराजा वापसी पर अपनी रियासत के फौजियों और दीगर मुला जमीन के लिए भी वैसी ही वर्दी तैयार करने का हुक्म देते जैसी यार। मैं दिखाई थी यू रियासत भरतपुर की 75 फीसद आमदनी यहां के सिपाहियों पर खर्च हो जाती है।

ऐसे सिपाही के जिन्होंने ना कभी जंग लड़ी थी और ना उन्हें कभी जननी थी। इसके बाद जो पैसा बचा था वह महाराजा के शाही बावर्ची खाने महल के अखरा जात और दीगर राशियों पर खर्च हो जाता। ऐसी सूरत में रियासत के अस्पतालों, सड़कों और स्कूल की हालत हिसार का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। दूसरी तरफ महाराजा अपनी आवाम के तमाम दुख दर्द से बेखबर अपने आसपास की रियासतों की देखा देखी। अपने महल और शाही फौज की तस्वीरों अराइज के नए-नए तरीके अख्तियार करता रहता। कभी सिपाहियों की वर्दी पर सोने की कढ़ाई करवाई जाती तो कभी गोलू के लिए भी शानदार वर्दियां डिजाइन की जाती है। महाराजा की इन्हीं के की छोरियों ने रियासत भरतपुर को बैनक्रॉफ्ट यानी दिवालिया कर दिया। फिर भी महाराजा को अपनी हरकतों। पर कोई पछतावा ना था। अब कुछ बात करते हैं।

महाराजा किशन सिंह की खुशी परस्ती और ऐयाश तबीयत की 1930 के जमाने में तमाम हिंदुस्तान में 40 मोमबत्ती ओं के नाम से एक कहानी बहुत मशहूर हुई। यह कहानी जुड़ी थी। भरतपुर के महाराजा किशन सिंह और उनकी रंगीन मिजाजी से महाराजा को तैराकी का बेहद शौक था और इसी चौकी तस्कीन की खातिर शाही महल में गुलाबी रंग का एक आलीशान स्विमिंग पूल बनाया गया था। यह स्विमिंग पूल एमपी हाई माहेर कारीगरों ने खासतौर पर महाराजा और इनकी 40 खास चुनिंदा बीवियों के लिए डिजाइन किया था। इस स्विमिंग पूल में 20 स्टेप यानी चिड़िया बनाई गई थी।

हर एक सीढ़ी पर महाराजा की जो मंजूरे नजर रानियां मुकम्मल बढ़ाना हालत में खड़ी रहती महाराजा हर रात स्विमिंग पूल में तशरीफ लाते शुरू से आवास करते हुए वह रानी से मुलाकात करते किसी को शरारत अन पानी में। बता देती तू किसी को अपनी तरफ खींचते और यह भी चिड़िया उतरते हुए अपनी तमाम रानियों का हाल है। वालों दरिया करती। फिर शुरू होता। 40 मोमबत्तियां का खेल खास डिजाइन की मोमबत्ती हर रानी के बढ़ाना जिस्म से मुंह से लिखी जाती। अब यह सब की सब एक दूसरे पर पानी खेती एक दूसरे को पानी में धक्का देती है। मकसद एक दूसरे की मोमबत्तियां भुजा ना होता। जिस रानी की मोमबत्ती आखिर तक जलती रहती है वह उस रात की बातें करार पाती हैं, जिसे महाराजा इन तिहाई कीमती तहत से नवाजा करते और वह महाराजा के साथ रात गुजारने की हकदार भी करार पाती। यह तो थे महाराजा किशन सिंह के एक लाख अब हम बात करते हैं।

महाराजा की निजामे इंसाफ और अनिल की महाराजा का प्राइवेट सेक्रेटरी कवर भरत सिंह हरिद्वार की सुबह तमाम सरकारी फाइल जिन पर महाराजा की तवज्जो दरकार होती। कॉन्फ्रेंस रूम में मौजूद एक बहुत बड़ी टेबल पर रख दिया करता। जी टेबल इतनी बड़ी चीज है। इसके गिर सौ आदमी बैठ सकते थे। बड़ी बड़ी दावत हमें भी इस टेबल का इस्तेमाल किया जाता। तमाम फाइल्स महाराजा की हुकुम पर इस टेबल पर रख दी जाती जिनमें कत्ल के मुकदमे लाखों रुपए के घपले सरकारी तक अररिया और बढ़ता रसिया और इंतिहा अहमियत की सरकारी मुकदमा दर्ज होती।

सेक्रेटरी कमर भरत सिंह को हिदायत थी कि अगली सुबह वहीं तमाम उपाय स्कोर टेबल पर से उठा ले। अब आते हैं महाराजा की तरफ कि वह कैसे इतने सारे और अहम फैसले सिर्फ एक रात में कर लिया करती। इतवार की रात महाराजा अपनी रानियों और हरम की दूसरी खबर तीन के साथ दावत उड़ाने के बाद इस कॉन्फ्रेंस रूम में दाखिल होते हैं। जहां पहले खूब शराब का दौर चला करता। फिर जब महाराजा का काम का मूड होता तो वह अपनी रानियों और खनिजों को हुक्म देते की टेबल पर मौजूद तमाम फाइल्स को दो हिस्सों में तक्सीम कर दिया जाए अब तक। किसी की तमाम पाइल्स को बगैर किसी नजर इशानी की अप्रूवल दे दी जाती जबकि दूसरे हिस्से के तमाम मुकदमा मुसरत कर दिए जाते।

महाराजा की इस अंधी इंसाफ की सब अब कई गुना फांसी चल गई तो कई संगीन किशन के मुजरे में रियासत में आजादी से दद्दन आते। फिर से कई लुटेरे मासूमों का पैसा खा गए तो कई मासूम सौदागर कोड़ी कोड़ी को मोहताज हो। गईलू इंसाफ की अदम फराहनी ने रियासत में ऐसा इंतजार पैदा किया कि अंग्रेज भी चटपटा कर रह गए। दिल आखिर अंग्रेजों ने महाराजा की तर्ज हुक्म रानी से तंग आकर भरतपुर में एक ब्रिटिश दीवान यानी वजीरे आज़म मुकर्रर किया जिसका काम रियासती उम्र को देखना और उन्हें बखूबी चलाना था। जबकि अंग्रेजों ने महाराजा किशन सिंह को ब्रिटेन की महारानी ओं में मौजूद रहने और नित्य निराले शौक पूरा करने के लिए बिल्कुल आजाद छोड़ दिया और यह महाराजा भी अपनी मौत।

जॉनी 1929 ईस्वी तक ऐसे ही शराब और शबाब में सर थापा डूबे रहे विवा क्या दीवान जरमनी दास की किताब महाराजा से आकाश शुदा है जो अंग्रेजी दौर की राजाओं और महाराजाओं की हरकतों की एक चश्मदीद गवाह है।

यह भी पढ़े 

हैदराबाद के निजाम देश के नहीं बल्कि दुनिया के सबसे अमीर आदमी थे, लेकिन उनका शौक बहुत गंदा था

पुराने जमाने में राजा को आकर्षित करने के लिए रानी करती थी ये काम, करती थी ये 6 अनोखे काम

यह इतिहास की क्रूर रानियों में गिनी जाती है, यौन संबंध के बाद आशिकों को ज़िंदा जला देती थी – और …



JOIN WHATSAPP GROUP FOR LATEST UPDATES.