इतिहास की सबसे खौफनाक सजा

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इतिहास की सबसे खौफनाक सजा


दोस्तो अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा जब किसी अपराधी को पकड़ा जाता है तो उससे बहुत सी जानकारी उगलवाने के लिए उसे टॉर्चर किया जाता है। कई बॉलीवुड फिल्मों में तो टॉर्चर करने के न जाने कितने तरीकों को दिखाया जाता है जिनमें से कुछ खतरनाक होते हैं तो कुछ बेहद अजीबो गरीब। लेकिन आज हम आपको प्राचीन दुनिया में किए जाने वाले टॉर्चर के कुछ ऐसे खतरनाक तरीकों को दिखाएंगे, जिसे देखने के बाद आपके मन में बस एक ही बात आएगी कि इतने खतरनाक टॉर्चर मिलने से अच्छा तो मौत है जब अपराधी के शरीर को बांध कर उसके तलवे को बकरों से तब तक चढ़ाया जाता था।

जब तक उसकी मौत हंसते हंसते ना हो जाए और दौरे एक ऐसा खतरनाक टॉर्चर जब अपराधी के शरीर को बांस के छोटे पौधे के ऊपर बांध दिया जाता था ताकि बांस का पौधा उसके शरीर को चीरता हुआ बड़ा हो जाए। कभी खतरनाक जंगली जानवर से कटवाकर तो कभी जहरीले चींटियों के पिंजरे में अपराधी को भरकर टॉर्चर करने का तरीका आज के इस वीडियो में हम आपको प्राचीन दुनिया में किए जाने वाले टॉर्चर के कुछ ऐसे ही खतरनाक तरीकों को दिखाने और बताने वाले हैं। दोस्तों सबसे पहले हम आपको बता दें कि टॉर्चर शब्द का अर्थ होता है। प्रताड़ना प्रताड़ना के दो तरीके हो सकते हैं।

एक तो पॉजिटिव और दूसरा नेगेटिव। अगर आप किसी अच्छे आदमी को यानि किसी बेगुनाह को अपने किसी लालच की वजह से टॉर्चर कर रहे हैं तो ये बिल्कुल गलत है। दुनिया के हर देश में इस काम को अपराध के तौर पर देखा जाता है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ दुनिया का लगभग हर कानून इस बात की इजाजत देता है कि एक अपराधी से उसके अंदर की बातों का पता लगाने के लिए उसे टॉर्चर किया जाए क्योंकि ये तो आप जानते हैं कि सीधी उंगली से कोई नहीं निकलता। बेवजह की। प्राचीन काल से ही दुनिया के अलग अलग जगहों पर अलग अलग तरीके के टॉर्चर करने के तरीकों को इजाद किया जाने लगा। हलांकि आज के वक्त में टॉर्चर करने के तरीके ज्यादा दर्दनाक नहीं होते, लेकिन प्राचीन काल में किसी अपराधी को टॉर्चर करने का तरीका इतना खतरनाक होता था कि अधिकतर मामले में अपराधी की मौत ही हो जाती थी।

और अब तो हम आपको बताने वाले हैं प्राचीन काल में टॉर्चर किए जाने वाले सबसे खतरनाक तरीकों के बारे में स्पाइक आयरन बॉक्स जैसे कि नाम से ही समझ में आ रहा है कि लोहे का एक बॉक्स जो कांटों से भरा हुआ है। जैसा कि आप इस तस्वीर में देख सकते हैं कि लोहे का एक बॉक्स फैन बॉक्स का आकार इतना है कि एक इंसान ठीक तरीके से इसके अंदर आ जाए। उस बॉक्स के अंदर ढेर सारे लोहे के कांटे निकले हुए हैं। इस मशीन का इस्तेमाल अपराधियों को टॉर्चर करने के लिए आज से लगभग 300 साल पहले इस्तेमाल किया जाता था।

जब किसी अपराधी को पकड़ा जाता था तो उससे किसी बात का जवाब चाहिए होता था तो अपराधी को एक बॉक्स के अंदर तस्वीर में दिखाए गए तरीके से कैद कर दिया जाता था। अपराधी का शरीर इस बॉक्स के अंदर कैद होने के बाद बिल्कुल खड़ा रहता था। बॉक्स के अंदर मौजूद काटे। अपराधी के शरीर की चमड़ी में छोटे छोटे छेद कर देते थे, लेकिन अपराधी के शरीर को बिल्कुल सुरक्षित तरीके से ऊपर रखा जाता था ताकि उसकी जल्दी से मौत न हो जाए। इसे बॉक्स के अंदर बंद करने के बाद अपराधी की हालत ऐसी हो जाती थी कि वो ना तो खड़ा रह सकता था। लड़ाई बैठ सकता था। अगर वो अपराधी उस बॉक्स के अंदर बैठने की कोशिश करता तो बॉक्स के अंदर मौजूद कांटे उसके शरीर को चीर देते और अगर खड़ा रहता तो धीरे धीरे उसका पैर जवाब देने लगता था। उसके शरीर से धीरे धीरे खून बहता रहता और अंत में अपराधी की मौत हो जाती थी।

कई बार तो ऐसा होता कि अपराधी नींद से बेचैन होने लगता था, लेकिन उसके लिए सोना असंभव होता था क्योंकि इस कांटे से भरे बॉक्स के अंदर सोने का मतलब था। दोबारा कभी न जगने वाली नींद पर ये तो कुछ भी नहीं। अब हम आपको अगले जिस खतरनाक टॉर्चर के बारे में बताने वाले हैं, उसके बारे में सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। लाफिंग डेथ कहते हैं हंसना किसी भी इन्सान के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है, लेकिन वही हंसी जब जरुरत से ज्यादा हो जाये तो किसी इन्सान की मौत का कारण भी बन सकती है। प्राचीन रोमन साम्राज्य के लोग इस बात को बखूबी जानते थे। यही वजह है कि वे लोग इसी हंसी का इस्तेमाल अपराधियों को टॉर्चर करने में करने लगे और स्वतः जब किसी अपराधी को पकड़ा जाता था तो उसे सबसे पहले टेबल के ऊपर कसकर बांध दिया जाता था। उसके बाद उस आदमी के तलवे पर नमक का ऐसा सल्यूशन लगाया जाता था, जो बकरियों को बेहद पसंद आता था।

बस के बाद एक बकरी को उस कमरे में छोड़ दिया जाता। बकरी को जैसे ही नमक की खुशबू आती बकरी तुरंत अपराधी के पैर को चाटने लगती। शुरुआत में तो अपराधी को बड़ा मजा आता लगने से गुदगुदी महसूस होती थी और उसे हंसी आती थी। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कई घंटे तक यही सिलसिला लगातार चलने की वजह से और उसके शरीर कसकर बंधे होने की वजह से अपराधी की मौत हो जाती थी। दोस्तो आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे पैर के तलवे के पास हमारे शरीर के 20 लाख से ज्यादा नोट आकर खत्म होते हैं। यही वजह है कि जब हमारे तलवे पर एक जरा सा छुअन भी महसूस होता है तो हमारा शरीर सिहर उठता है और हमारी हंसने वाली कोशिकाएं ऐक्टिवेट हो जाती हैं। लेकिन जब एक बकरी कई घंटे तक लगातार किसी अपराधी के पैर को अपनी जीभ से चाहती थी और अपराधी का शरीर कसकर बंधा होने की वजह से वो ठीक तरीके से रियेक्शन नहीं कर पाता था और उसकी मौत हो जाती थी। तब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्राचीन समय में अपराधियों को टॉर्चर करने का तरीका कितना अजीबो गरीब और कितना खतरनाक था। लेकिन अब हम आपको अगले जिस टॉर्चर के बारे में बताने जा रहे हैं, उसे देखने के बाद आपकी रूह कांप जाएगी। बैम्बू टॉर्चर दोस्तों सबसे पहले हम आपको बता दें कि बांस का पौधा दुनिया का इकलौता ऐसा पौधा है जो एक रात में ही कभी कभी दो फीट तक लंबा हो जाता है।

प्राचीन दुनिया के लोगों को इस बात का पता लग चुका था कि विजय की प्राचीन दुनिया के लोग बांस के पौधे का इस्तेमाल भी अपराधियों को टॉर्चर करने के लिए करने लगे थे। प्राचीन दुनिया में जब किसी खूंखार अपराधी को पकड़ा जाता था तो उसे बांस के उन पौधों के पास लेकर जाया जाता था। जहां बांस के पौधे बेहद छोटे होते थे। अपराधी को बांस के छोटे छोटे पौधों के ऊपर तस्वीर में दिखाए गए तरीके से बांध दिया जाता था। क्योंकि बांस का पौधा एक ही रात में दो फीट से लंबा हो जाता था। सजा देने वाले लोग बांस के ऊपरी सिरे को काटकर जांघों की तरह नुकीला बना देते थे और बांस का पौधा जब तेज रफ्तार से बड़ा होता था तो बांस का पौधा अपराधी के शरीर को धीरे धीरे चीरता हुआ ।

ऊपर की तरफ निकलता अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस इनसान को टॉर्चर करने का ये तरीका कितना भयंकर होता होगा। जब धीरे धीरे चाकू की तरह कोई नुकीला किसी इंसान के शरीर को धीरे धीरे छेदकर दवा बाहर की तरफ निकल आए तो अपराधी को टॉर्चर करने का ये तरीका प्राचीन दुनिया के सबसे खतरनाक तरीकों में से एक था। खैर अब हम चलते हैं टॉर्चर करने के अगले तरीके की तरफ। जिसका इस्तेमाल प्राचीन भारत में सबसे ज्यादा किया गया। टार्चर बाय
एलिफेंट। दो दो हाथ ही हमारी पृथ्वी पर मौजूद सबसे भारी जानवर माना जाता है, जिसका वजन 4000 से 5000 किलो तक भी पहुंच जाता है और प्राचीन भारत में हाथी के इस वजन का इस्तमाल अपराधियों को टॉर्चर करने के तौर पर किया जाने लगा। प्राचीन भारत में कुछ वक्त ऐसा भी था जब किसी खूंखार अपराधी को पकड़ा जाता तो सबसे पहले उसे जमीन पर हाथ पैर बांध कर लेटा दिया जाता और उसके बाद एक ऐसे हाथी को वहां लेकर आया जाता था जिसको पहले से एक लंबी ट्रेनिंग दी जाती थी।

हाथी को इस बात की ट्रेनिंग दी जाती थी कि उसे अपराधी की जान नहीं लेनी है, बल्कि धीरे धीरे उसकी जान निकाल ली है। एक लंबे समय तक ट्रेनिंग देने के बाद हाथी बड़ी सफाई से इस काम को अंजाम देता। अपराधी को बांधने के बाद जब उस हाथी को वहां लाया जाता था तो हाथी अपने पैरों के वजन से अपराधी के हाथ और पैरों को कुचलता था। महादेव बात का ध्यान रखता था कि अपराधी के हाथ और पैर का चूरमा बनाए, लेकिन उसके जान नहीं निकलने चाहिए। हाथ अपने शरीर का पूरा वज़न अपराधी के हाथ पैर जैसे नाजुक अंगों पर पटक देता और टॉर्चर खत्म होते होते अधिकतर मामलों में अपराधी की मौत हो जाती थी।

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